आंदोलन जारी था, जारी है और जारी रहेगा! जब झारखण्ड के अलग अलग जगहों जल, जंगल और जमीन के सवाल को लेकर आंदोलन किये जा रहे थे तभी हमारे सामने कुछ ऐसे गीत आएं जिन्होंने आंदोलनकारियों के अंदर एक जोश को जिन्दा रखा. उसी कड़ी में ये एक गाना है अखड़ा के द्वारा बनाया गया जिसमे झारखंड की खूबसूरती को दिखाया गया है। आज दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जन आंदोलन जारी है. अखड़ा भी आंदोलन गीतों के जरिये अपनी सहभागिता हमेशा बनायीं है. विजय बिंगुल भी उन्ही आंदोलन गीतों का एक हिस्सा है. 1992 से चल रही नेतरहाट आंदोलन में लोगों के अंदर जोश भरने के लिए 1996 में ये गाना लिखी और गाई गयी.